नीतियों और नेताओं को है योग की जरूरत


आज योग दिवस है। पाँच बजे भोर से ही आस्था चैनल को अपने सामने पटक के खूब नाक, मुँह, पेट, छाती सिकोड़िये और फुलाइये। एकदम लंबा लंबा साँस घोंटिये...इतना लंबा घोंटिये कि स्क्रीन पर बाबा लामुदेव अनुलोम विलोम और कपालभाति करते हुए लजा के अपना दुसरका आँख भी मूँद लें।

इधर गलियारा में बैठी चाची एक लोटा चाय पीने के बाद...पतंजलि दवा का प्लास्टिक खोलते हुए चाचा से पूछती हैं 'आज कौन घनवटी खाय ले है जी...? कलही तो गिलोय घनवटी खैलिये हल'
उधर से चाचा पेट में दोलन करते हुए कहेंगे 'आज आरोग्यवटी और टोटका क्वाथ खाय ले है'

पिछले एक साल से अंग्रेजी दवा खाते खाते चाची आजिज हो गयी हैं। आज वक़्त आ गया है कि अंग्रेजी और आयुर्वेदिक दवा दुनो खाती हैं। कभी कभी तो कैप्सूल हाथ में लेते हुए रो देती हैं, पर क्या किया जाए दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है। आपको कैप्सूल के साथ दर्द का आँसू भी निगलना पड़ेगा।

आज भागते भागते कहाँ आ गए हैं हम। दिन भर में क्षोभमंडल से जितना ऑक्सीजन उधार लेते हैं उससे ज्यादा कार्बनडाइऑक्साइड टोटका क्वाथ और घनवटी के रूप में चुका देते हैं। कहीं चैन नहीं है। ताखा पे रखा हेपेटाइटिस और जॉन्डिस की दवा बतलाती है कि हमें जीवन की रफ्तार थोड़ी कम कर देनी चाहिए।

बारह घँटा एचडी स्क्रीन पर अँगुली रगड़कर आँख फोड़ने से अच्छा है चार बजे शाम को हँसुआ लेकर पुरवारी खेत से बकरी के लिए एक बट्टा घास गढ़ आइये। देख आइये खेत जाकर कि इस बार मोरी परायेगा कि नहीं। ये भी देख आइये कि अबकी जायद से कितना खीरा और तरबूज चोरी हुआ है। हो सके तो वहीं पर दुनो हाथ से बल लगाकर खीरा को दो भाग करते हुए खाइये। महसूस कीजिए कि जीवन का असली ठंडक यहीं तो नहीं छुपा है.. ? हम बेकार का एसी और फ्रीज के नाम पे बौखे जा रहे हैं। फ्रीज में चार दिन तक दूध भले न फटे पर आधुनिकता ने इस मधुरिम जीवन को फाड़ रखा है।

इधर कुछ दिनों से बिहार में बहार है। चमकी बुखार है। कुमार ही कुमार है...नीतीश कुमार है। उधर मोदी जी ट्विटर पर माननीय धवन के चोट का ऑनलाइन एक्सरे कर रहे हैं। उनका वश चले तो श्री धवन के चोट पर कच्चा पट्टी बाँध कर विदेश में कोई अवार्ड जीत लें। उनके देश का बच्चा मर रहा है। दवाई, डॉक्टर और जाँच की सुविधा नहीं है। सिर्फ चुनाव के समय जनता के पास लार चुआने आ जाएंगे। 150 बच्चों की मौत पर मन करता है चिल्ला चिल्ला कर हर हर मोदी का नारा लगाएँ। अभी न तो आप खतरे में हैं, न ही पुलवामा खतरे में है, न ही इस देश का कोई नेता खतरे में है...खतरे में है तो सिर्फ मुजफ्फरपुर के बच्चे और अलीगढ़ की बच्चियाँ।

हमें लगता है कि आज योग दिवस के अवसर पे सबसे ज्यादा योग करने की जरूरत है तो इस देश की विकलांग हो चुकी नीतियों और नेताओं को। इनके नियम कानून और व्यवस्था को। इन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है अनुलोम विलोम, भ्रामरी और कपालभाति की, इन्हें पाँच बजे भोर से ही आस्था चैनल को अपने सामने पटक कर खूब नाक, मुँह, पेट, छाती सिकोड़ना और फुलाना चाहिए ताकि इस देश की व्यवस्था स्वस्थ रहे। और देश का कोई बच्चा मरने ना पाये।

जय हो

अभिषेक आर्यन

अभिषेक आर्यन कहानी / Abhishek Aryan Kahani
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