कहानी : फगुआ शुरू हो गिया है, चलो अब गांव लौट चलते हैं!
ए सीजन के लगन का धूमधड़ाका अंतिम पड़ाव पर है!खेतिहर सब अब सीवान में दिख रहे हैं,कटिया बिनिया ख़ातिर लोग अगल बगल के गांव से हमन के सीवान में डेरा डाल रहे है!पसीने से सींच जो लहू बोए थे खेतिहर सब उ सोना बनके खेतों में उग चुका है!
शामलाल उधर घास-पात छील रहे हैं खरिहान पोतने के लिए दुआरी दुआरी से गोबर जुहाया जा रहा है!पोखरा पर फेंटा कस के मुरलिया क पतोह करिहांय पर घईली रख के आपन मरद से अइसे बतिया रही है जइसे आजे पहिला बेर भेंट हुआ है,और बतियाये भी काहें ना 3 बरिस बाद लौटा भी तो है गुड़गांव से,ससुरा न जाने कउन नोकरी में 99 के चक्कर मे फंस गया था कि मेहर के सुधि लेना ही भूल गया था,उ त धन्य है कि कउनो शिकायत नहीं है उसकी मेहरारू को उससे!
बाबा भी खरहर आ फरुही लेके पहुंच चुके हैं!चाचा समहुत कई चुके हैं दु पांजा मसूरी से!पुताई चालू होते ही मुरलिया शामलाल बो भउजी पर घईली क पानी उझील दिया है उ गोबर लेके दौड़ा रही है कहते हुए कि आ जो तोर लुंगी में गोबर ना डाल देहनी त असल गांव के बेटी ना...!बड़ा मनभावन माहौल है!
इधर खेत पर देखिए न टहटह हरियर साड़ी पहिंनले मांग में पियरका सेनुर भरले खेलावन के पतोह अइसे आ रही है जइसे पूरा सीवान में एक्के सरसो क गांछ फुलाया है!ललइया क देखिए न ससुरा मेहरारू के दूसरा छोर पर मसूरी उखारे ख़ातिर भेज दिया है और इधर नैनमटक्का कर रहा है,ओ कोन से ई सब देख घुरहू सुरती ठोंकते हुए न जाने काहें चहचहा रहे हैं,उनका जवानी के दिन याद आ गया हो जइसे!
के
मिठुआ के मेहरारू से तिनसुकिया बो पूछ रही है कि अइसन कउन जादू कर दी हो भतार पर कि दिन भर गोड़ चूमता रहता है तुम्हरा!लजाते हुए आँचर मुंह मे दबा के मुस्कियाती रह जाती है बेचारी!ई लज्जा यहीं गांव में बचा है अभी!
शिवमूरता एक खाँची गोबर,दू घईली पानी संगही दौड़ दौड़ लिया रहा है,अइसा लग रहा है कि अभी कपार से भांग के लड्डू का असर नहीं उतरा है!काल्ह शिरात रहे,हौंक के शिवाला पर खाया था गोला ससुरा!
ई गांव है,,इहाँ कउनो काम हँसी खेल में कर जाने का हुनर बचपन से ही सिखाया जाता है.!इहाँ के आबोहवा में मजाक तैरता रहता है,आप कहीं से दो छंटाक मजाक उठा के किसी पर भी छिड़क सकते हैं,केहू बुरा नहीं मानता है!ई अलग बात है कि गांव का चटख रंग थोड़ा बहुत धुंधला हुआ है लेकिन अब भी संवेदना अगर जीवित है तो वो यहीं गांव में ही है!
दुई दिन में इनार खोदने वाले यहीं पाए जाते हैं!पहाड़ तक तोड़ने वाले पैदा यहीं होते हैं..!ए भाय मानो या न मानो जो है सब गउवें में है!ई जो सब आज नए नए शहरों पर इतराते हैं न उनका डिजाइन गांव ही तैयार करता है!मत भूलो गांव को,रुपिया से पेट नहीं भरेगा अगर गांव से खेत गायब हो जाय!
फगुआ शुरू हो गिया है, चलो अब गांव लौट चलते हैं!
जय भोजपुरी,जय हरियरी,जय किसान!
- अतुल कुमार राय
Suggested Keyword:-
Fagua story in hindi, fagua ke rang, lokrang, fagua geet, फगुआ की फाग, फगुआ सारारारा, नयी कहानी, nayi kahani, hindi story, village story, फगुआ सुनाओ फगुआ, desi story, fagua express story in hindi, new hindi story, nayi wali story, holi story in hindi, holi status 2020, holi par kahani, होली कहानी,
Recommended Book:-
![]() |
Patarki / पतरकी |
Suggested Keyword:-
Fagua story in hindi, fagua ke rang, lokrang, fagua geet, फगुआ की फाग, फगुआ सारारारा, नयी कहानी, nayi kahani, hindi story, village story, फगुआ सुनाओ फगुआ, desi story, fagua express story in hindi, new hindi story, nayi wali story, holi story in hindi, holi status 2020, holi par kahani, होली कहानी,
Post a comment
कृपया यहाँ कोई भी स्पैम लिंक कमेंट न करें