अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के नाम ख़त : Sushant Singh Rajpoot Death News


Actor Sushant Singh Rajpoot Death News : Sushant Singh Rajpoot Death latest News : Bollywood Actor Sushant Singh Rajpoot Suicide News : Sushant Singh Rajpoot Found Dead




Actor Sushant Singh Rajpoot Death News : Sushant Singh Rajpoot Death latest News : Bollywood Actor Sushant Singh Rajpoot Suicide News : Sushant Singh Rajpoot Found Dead

- आशिक


अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के नाम ख़त.....Letter to Sushant Singh Rajpoot On His Death Or Suicide News




प्रिय सुशांत, 


अभी कुछ देर पहले फ़ेसबुक, वाट्स एप, ट्विटर के शोर से मालूम हुआ कि तुमने आत्म हत्या कर ली है। मैं स्तब्ध हूं। यक़ीन ही नहीं हो रहा कि तुम ऐसा कर सकते हो। शायद यह शोर ही था ज़माने का, जो तुमको खा गया। तुम्हारे ज़ेहन, तुम्हारे मन को दीमक लग चुकी थी। तुम इतनी ख़ामोशी से बिखरते गए कि उसकी आहट किसी ने भी नहीं सुनी। सुशांत तुम्हारी पीड़ा अनकही ही रह गई। अभी पुलिस इन्वेस्टिगेशन, मीडिया के विश्लेषण आने शेष हैं। लेकिन मैं महसूस कर रहा हूं तुम्हारी असमय मौत के कारण। आज मुझे फिर से यक़ीन हो गया कि मुंबई फ़िल्म जगत, एक बहुत बड़ा कब्रिस्तान है। जहां लोग चमक, धमक, शोहरत, दौलत में ऐसे अंधे होते हैं कि उन्हें एहसास ही नहीं होता और यह शहर उनको निगल जाता है। जैसे आज तुमको निगल गया है। 

आज लिखने को बहुत कुछ है लेकिन शुरुआत तुम्हारे ही एक कथन से करता हूं। एक इंटरव्यू के दौरान तुमने कहा था कि " मेरे पास जो पुरानी गाड़ी थी, वह मुझे बेहद पसंद थी, लेकिन अब चूंकि मेरी फ़िल्में हिट हो रही हैं, अब मैं एक सुपरस्टार हूं तो, उस सुपरस्टार की छवि मेंटेन करने के लिए मुझे न चाहते हुए भी एक बड़ी आलीशान गाड़ी लेनी होगी और इसलिए मैंने इतनी महंगी गाड़ी खरीदी है और आज  उस में बैठकर, इस अवॉर्ड शो में आया हूं। 

प्रिय सुशांत, जो भी जीवन और शब्दों की समझ रखता होगा, उसे तुम्हारे इस कथन में ही तुम्हारी आत्म हत्या के कारण नज़र अा रहे होंगे। तुम वह जीवन जी रहे थे, जहां हर पल ख़ुद को साबित करने की चुनौती थी, ज़रूरत थी। यह ज़रूरत बहुत बेशर्म थी। तुमको न चाहते हुए भी इस इंडस्ट्री, इस समाज के सामने झूठी ज़िदंगी, झूठी हंसी स्वीकार करनी पड़ रही थी। तुम वह जीवन जी रहे थे, जिसके परिणाम में अवसाद मिलता है और उसके परिणाम में आत्म हत्या। 

सुशांत कितना अजीब है न कि हमारी ज़िदंगी झूठी कहानी जीते हुए बीत जाती है। अब अपनी पिछली फ़िल्म छिछोरे को ही देख ले। तुम पूरी फ़िल्म में इस बात की हिमायत करते हुए दिखाई दे रहे थे कि आत्म हत्या समाधान नहीं बल्कि सामाजिक समस्या है। और आज तुमने ही आत्म हत्या का रास्ता चुन लिया। कितना अश्लील है यह। 


यह कहना बहुत आसान है कि सुशांत तुमको ऐसा नहीं करना था। या यह कह देना कि सुशांत तुमको ज़िदंगी में लड़ना चाहिए था। दूसरे इंसान को यह सिर्फ़ कहना होता है इसलिए इसमें दुश्वारी नहीं होती। जिस पर बीत रही होती है, वही समझ सकता है कि आख़िर क्यों जीवन का मोह छूट जाता है। क्यूं मृत्यु प्रिय हो जाती है। क्यों आत्म हत्या अंतिम विकल्प मालूम होती है। 

तुम्हारी आत्म हत्या, जीवन के कई प्रश्नों को खोल देती है। तुम सुपरस्टार थे। दौलत, शोहरत, इज़्ज़त सब तुम्हारे क़दमों में थी। ऐसा कोई सुख, साधन, संसाधन नहीं था, जिससे तुम अछूते रहे हो। तुम वह जीवन जी रहे थे, जो करोड़ों लोगों का सपना था। लेकिन फिर भी तुमने मौत को चुन लिया। शायद इसलिए कि तुम उस दुख, उस पीड़ा को भी जी रहे थे, जो करोड़ों लोग जीते तो हैं, लेकिन उन पर दुनिया मुस्कुराने का दबाव नहीं बनाती। तुमको दुःख झेलकर भी कैमरे के सामने हंसने का नाटक करना पड़ता होगा। इसी स्थिति में मुझे बुद्ध और महावीर याद आते हैं। अगर जीवन, सुख, प्रेम, सुकून, आनन्द वस्तुओं, संसाधनों, दौलत, शोहरत में होता तो बुद्ध और महावीर जैसे राजकुल के मनुष्य इनका त्याग नहीं करते।

सुशांत  ,मैं जानता हूं कि तुमको पूरी कोशिश की होगी। तुम लड़े होगे आंसुओं से। तुमने मुस्कुराने की भरपूर कोशिश की होगी। वैसे भी  इंसान का सबसे बड़ा डर होती है मृत्यु। कोई यूं ही मौत को गले नहीं लगा लेता। जब तक सभी रास्ते बन्द न हो जाएं। जब तक जीते हुए दम घुटने की अनुभूति न हो, कोई कहां आत्म हत्या करता है। मुझे खुद कई बार जीवन से विरक्ति हो चुकी है। लेकिन मैंने आत्म हत्या का रास्ता नहीं चुना। इसलिए कि मेरा सामने उम्मीद, आशाओं का दामन था। मेरे सामने एक किरण थी, जो कह रही थी कि मरना अभी आख़िरी विकल्प नहीं है। शायद तुम्हारी किरण बुझ चुकी होगी। तभी तुमने आत्म हत्या जैसा क़दम उठाया है। 

सुशांत तुमसे शिकायतें इसलिए अधिक हैं कि तुम प्रेम थे, प्रार्थना थे, प्रेरणा थे। तुमसे हिम्मत मिलती थी। तुमसे उम्मीद मिलती थी कि सब ठीक हो जाएगा। काई पोचे, पीके, एमएस धोनी, केदारनाथ, छिछोरे हर फ़िल्म में तुम एक योद्धा थे। तुम्हारी एक्टिंग, एक्टिंग न होकर एक औषधि थी। जिसे देखकर लोगों के घाव, दर्द, दुःख कम हो जाते थे। फिर तुम किस तरह अपनी उस औषधि से अनजान रहे, क्यों उस औषधि से तुम्हारे घाव न भर पाए, यह प्रश्न, यह मलाल अब जीवन भर रहने वाला है। 

सुशांत, इस ख़त को लिखते हुए मन रो रहा है। तुम भी इसे पढ़ते तो ज़ार ज़ार रोने लगते। तुम्हारी मौत, कई लोगों की हिम्मत की मौत है। तुम्हारी मौत, कई सपनों की मौत है। तुम सिर्फ़ एक शरीर नहीं थे सुशांत। तुम एक विचार थे, जो करोड़ों लोगों में हर क्षण पनप रहे थे, पोषित हो रहे थे। तुम सकारात्मकता, मेहनत, ऊर्जा का प्रतीक थे। जिस तरह तुम बैक स्टेज डांस आर्टिस्ट से फ़िल्म अवॉर्ड्स में मेन परफॉर्मेंस तक पहुंचे, यही तुम्हारी कहानी का सार है। आज तुम्हारे चले जाने से, करोड़ों दिलों में एक खालीपन, सूनापन अा गया है। 


सुशांत, तुम्हारा जाना दुःख दे गया है। इसके बावजूद तुम्हारे लिए प्रेम, सम्मान कम नहीं होगा। तुम्हारा असर भी नहीं घटेगा। मैं तुम्हारी दो फ़िल्मों के बारे में यहां ज़िक्र करना चाहता हूं। 

पहली फ़िल्म है एमएस धोनी - द अन टोल्ड स्टोरी। जब खबर मिली कि तुम एमएस धोनी की बायोपिक में काम कर रहे हो तो एक ख़ुशी भी थी और एक आशंका भी। ख़ुशी इसलिए कि काई पोचे फ़िल्म में क्रिकेट प्रेमी का किरदार जिस तरह तुमने निभाया था, उसके बाद मुझे यक़ीन था तुम्हारे अभिनय पर। आशंका इसलिए कि एमएस धोनी अपने प्रेमियों में भगवान की तरह पूजे जाते हैं। और भगवान की छवि सबसे महत्वपूर्ण होती है। लोग तुमको धोनी के चेहरे के रूप में स्वीकार कर पाएंगे या नहीं, यही मेरी आशंका थी। 

लेकिन तुमने अपनी अभिनय क्षमता से न केवल मेरी आशंकाओं को दूर किया बल्कि धोनी के जीवन को जीवंत कर दिया। चाहे फ़िल्म में धोनी के पिता के किरदार के साथ संवाद हों, उनकी बहन के साथ रिश्ता हो, क्रिकेट का सुकून हो, मुहब्बत के जुनून वाले दृश्य हों, तुमने धोनी को जीवन से भी बड़ा बना दिया था। जब तक दुनिया में एमएस धोनी का नाम है, तब तक उनके ऑन स्क्रीन चेहरे के रूप में तुम अमर हो चुके थे सुशांत। 

दूसरी फ़िल्म थी केदारनाथ। जिसे मेरे राज्य उत्तराखंड में बैन कर दिया गया था। तुमने मकसूद का किरदार निभाया था। सुशांत, तुम्हारे द्वारा निभाए गए मकसूद के किरदार में इतनी सच्चाई, इतनी सरलता, इतना निस्वार्थ भाव था कि वह मेरे लिए नज़ीर बन गया। आज भी जब मैं किसी लड़की से इश्क़ करता हूं तो मेरी कोशिश रहती है कि मकसूद के गुण, उसकी सच्चाई, उसकी शिद्दत मेरी आशिक़ी में जज़्ब जो जाए। तुम मेरे लिए सच्ची मुहब्बत के उदाहरण थे सुशांत। 

 ये जो अब मुझे बार बार " थे " लिखना पड़ रहा है, शायद इसकी पीड़ा तुम समझ नहीं पा रहे होगे सुशांत। पीड़ा से मुक्त होने के लिए ही तो तुमने आत्म हत्या जैसा क़दम उठाया है। मेरा लेकिन एक प्रश्न है कि क्या पीड़ा ख़त्म हो जाती है इस तरह से मर जाने के बाद। ख़ुद कुशी कर लेने के बाद। इसका जवाब अगर दूसरी में हम मिले, तो तुमसे ज़रूर लूंगा मैं। 

तुम जीवित रहोगे अपने प्रशंसकों में। पूरी दुनिया तुम्हारी प्रशंसक है। तुमसे कोई कैसे प्रेम किए बिना रह सकता है। 

तुम्हारी रूह को सुकून मिले सुशांत। 

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