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Abhishek Aryan |
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बिहार राज्य, जमुई जिले के छोटे से गाँव सोनखार-अलीगंज से हूँ। 10वीं तक की शिक्षा गाँव के मरखहवा माटसाब से प्राप्त किया। गाँव की शिक्षा, माहौल और चंचलता ने मेरे अंदर कहानियों को कब प्लांट कर दिया ये मुझे भी पता नहीं चला। 10वीं के बाद जब आगे की पढ़ाई के लिए गाँव से दूर पारवती वस्त्रालय के झोला में चना का सतुआ, NCERT और लुसेंट का किताब लेकर चला था तब नहीं मालूम था कि NCERT और लुसेंट का जीवन में इतना महत्व होगा कि मैं अपने सपनों की चौहद्दी को इसी के सहारे मानचित्र पे देख सकूँगा।
जब भारत की सुप्रतिष्ठित इंजीनियरिंग परीक्षाएँ AIEEE, JEE मेंस में और IIT, JEE एडवांस में तब्दील हो रही थी तब मैं HC वर्मा, KC सिन्हा, रेसनिक, वाल्कर, हॉलिडे और यूरोडोव जैसी भयंकर किताबों में अपनी दुनिया खोजने लगा। मुझे लगा कि कम से कम इंसान को जीवन में एक बार इंजीनियरिंग और दूसरी बार UPSC की तैयारी तो कर ही लेनी चाहिए। वरना जिंदगी से बहुत सी शिकायतें रह जाती हैं।
तैयारी के दौरान प्रश्न-उत्तर करने लगा। रोज सैकड़ों सवाल, हजारों विकल्प का गोला बारूद बनाकर अपने मित्रों के साथ युद्ध करने लगा। दिन भर के गोला बारूद से समय मिलता तो मन एक ऐसा स्थान खोजने लगा जहाँ ठहराव हो। उसी ठहराव में मुझे साहित्य से दोस्ती हो गयी।
उसी घटना के बाद पता चला कि दोस्ती हमेशा शांत वातावरण खोजती है। दिन भर के शोरगुल, हॉर्न, ट्रैफिक में आप अपना काम भले निपटा सकते हैं दोस्ती नहीं। फिर अपनी भाषा की किताबें पढ़ने लगा, अपनी भाषा में लिखने लगा.....और वो दोस्ती आज भी हमसे बहुत कुछ लिखवा लेती है।
काफी समय तक कहानियाँ लिखते और पढ़ते हुए लगा कि एक ऐसा भी जगह हो जहाँ अपनी पसंद की संवेदनायुक्त रचनाओं को लोगों के बीच साझा कर सकूँ। तब जाकर हमने www.nayiwalistory.in blog बनाया। नई वाली स्टोरी कोई साहित्यिक मंच नहीं है बल्कि एक पेड़ है जिसके छाँव में मैं रचनाओं को साझा करते हुए सुकून महसूस करता हूँ। हवाओं से बात करता हूँ। कला और कहानियों से गले मिलता हूँ।
आज नई वाली स्टोरी को लोग बहुत प्यार दे रहे हैं। गूगल पर खोज कर nayiwalistory के पन्ने पलट रहे हैं। बनाते वक्त लगा नहीं था कि लोग इतना प्रेम देंगे, लेकिन समाज ने जितनी नफ़रतें दी हैं साहित्य ने नफरतों को उतना ही प्रेम करना सिखाया। मुझे उम्मीद है कि आप सब अपनी भाषा से प्रेम करेंगे अपनी भाषा में लिखते पढ़ते रहेंगे। किसी भी भाषा के विस्तार के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उसे अधिक से अधिक लिखा और पढ़ा जाए। तो जुड़े रहिये और हिंदी का विस्तार कीजिये। जय हो।
आपका अपना अभिषेक
जब भारत की सुप्रतिष्ठित इंजीनियरिंग परीक्षाएँ AIEEE, JEE मेंस में और IIT, JEE एडवांस में तब्दील हो रही थी तब मैं HC वर्मा, KC सिन्हा, रेसनिक, वाल्कर, हॉलिडे और यूरोडोव जैसी भयंकर किताबों में अपनी दुनिया खोजने लगा। मुझे लगा कि कम से कम इंसान को जीवन में एक बार इंजीनियरिंग और दूसरी बार UPSC की तैयारी तो कर ही लेनी चाहिए। वरना जिंदगी से बहुत सी शिकायतें रह जाती हैं।
तैयारी के दौरान प्रश्न-उत्तर करने लगा। रोज सैकड़ों सवाल, हजारों विकल्प का गोला बारूद बनाकर अपने मित्रों के साथ युद्ध करने लगा। दिन भर के गोला बारूद से समय मिलता तो मन एक ऐसा स्थान खोजने लगा जहाँ ठहराव हो। उसी ठहराव में मुझे साहित्य से दोस्ती हो गयी।
उसी घटना के बाद पता चला कि दोस्ती हमेशा शांत वातावरण खोजती है। दिन भर के शोरगुल, हॉर्न, ट्रैफिक में आप अपना काम भले निपटा सकते हैं दोस्ती नहीं। फिर अपनी भाषा की किताबें पढ़ने लगा, अपनी भाषा में लिखने लगा.....और वो दोस्ती आज भी हमसे बहुत कुछ लिखवा लेती है।
काफी समय तक कहानियाँ लिखते और पढ़ते हुए लगा कि एक ऐसा भी जगह हो जहाँ अपनी पसंद की संवेदनायुक्त रचनाओं को लोगों के बीच साझा कर सकूँ। तब जाकर हमने www.nayiwalistory.in blog बनाया। नई वाली स्टोरी कोई साहित्यिक मंच नहीं है बल्कि एक पेड़ है जिसके छाँव में मैं रचनाओं को साझा करते हुए सुकून महसूस करता हूँ। हवाओं से बात करता हूँ। कला और कहानियों से गले मिलता हूँ।
आज नई वाली स्टोरी को लोग बहुत प्यार दे रहे हैं। गूगल पर खोज कर nayiwalistory के पन्ने पलट रहे हैं। बनाते वक्त लगा नहीं था कि लोग इतना प्रेम देंगे, लेकिन समाज ने जितनी नफ़रतें दी हैं साहित्य ने नफरतों को उतना ही प्रेम करना सिखाया। मुझे उम्मीद है कि आप सब अपनी भाषा से प्रेम करेंगे अपनी भाषा में लिखते पढ़ते रहेंगे। किसी भी भाषा के विस्तार के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि उसे अधिक से अधिक लिखा और पढ़ा जाए। तो जुड़े रहिये और हिंदी का विस्तार कीजिये। जय हो।
आपका अपना अभिषेक
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