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भारतीय परीक्षा और विकास की ईंट - Student life hindi story
भैया आज CTET का एग्जाम है, देखिये तो फलाना स्कूल इधर ही पड़ता है क्या?
दुकानदार साँप की तरह हाथ रेंगाते हुए कहता है 'हाँ...आगे से राइट ... फिर लेफ्ट मुड़ जाइएगा'
लड़का वहाँ पहुंच कर बोर्ड पे लिखे स्कूल का नाम एडमिटकार्ड से मिला रहा है। एल, ई, ए, डी, एस...नाम तो यही लिखा हुआ है।
महाशय को अभी भी संतोष नहीं हुआ है...अगल बगल झाँकते हुए मन ही मन बुदबुदा रहे हैं..साला कैसा शहर है... कोई पुष्टि करने वाला भी नहीं है। कम से कम बोर्ड लगाकर एक बड़ा सा तीर तो इस दिशा में घोंप दिया होता। हई सड़ल गर्मी में बौखा दिया है।
तभी एक उम्रदराज भैया इनके ओर आ रहे हैं। अब इनका आत्मबल पाँच ट्रिलियन इकॉनमी की तरह बढ़ गया है...चलो कोई तो आ रहा दुविधा को दूर करने, जबकि वो महापुरुष खुद इसी दुविधा से जूझ रहे हैं।
भैया आपका भी लीडस एशियन में ही है.? तनिक एडमिट कार्ड दिखाइए तो। हाँ...ई देखिये....अरे यही तो है। लीड्स एशियन...अब महाशय कंफर्म हो गए हैं। डर का भूत भाग गया है। अब चिंता भी नहीं है अगर गलत भी हुए...तो हम अकेले नहीं है, अब चेहरे पे मुस्कान है।
बगल में एक उम्रदराज आदमी अपने पिताजी से बात कर रहा है। बाबूजी...परनाम...सेंटर पर पहुँच गेलिये हैं। हाँ बेटा जो बढ़िया से परीक्षा दिहे। मम्मी नय हथिन ओजा पर...? मम्मी परनाम...पहुँच गेलिये...जाइत हियो परीक्षा देबे। हाँ जो ठीक से दीहें...निकल के फोन करीहें। ये संस्कृति है इस मंडल की गाँव से 500 किलोमीटर दूर एक बेटा परीक्षा से पहले फोन पे ही अपने माँ-बाप का पैर छू लेता है।
उधर आज माई उपवास रख ली है। वेदी के आगे हाथ जोड़ ली है। भगवान अबरी पार लगा दहो। सब गच्छल पूरा कर दबै। आँख लोर से डबडबा गया है। उधर बाबूजी खटिया पर बइठल सिर्फ इस भावना को महसूस कर रहे हैं। वो बोल नहीं सकते, बोलें भी तो किससे...बस रिजल्ट आ जाए, तब कुछ बोलने में बनेगा।
इधर कुछ छात्र मूंग दाल और कुरकुरे का पैकेट फाड़े पेट भर रहे हैं। बिसलेरी की बोतल प्यास बुझा रही है। ये बिहार है...यहाँ दालमोट के दुकान से लेकर खैनी के दुकान तक पे भीड़ जमा रहता है। बेरोजगारी और शिक्षक बनने की होड़ ने लीडस एशियन को लीडस एशियनवा बना दिया है।
बगल में एक भवन बन रहा है। दोनों हाथ जोड़ कर मैं विकास कंपनी के ईंट पर बैठ गया हूँ। सोच रहा हूँ...कुछ देर में छात्र OMR शीट पे अपना उज्ज्वल भविष्य रंग कर आएंगे। बस आयोग धाँधली न करे, किसी कारण परीक्षा निरस्त न करे। रिजल्ट आ भी जाए तो कहीं रिव्यु रिजल्ट न आ जाए। रिव्यु के बाद कहीं फिर से रिव्यु रिजल्ट न आ जाए। कहीं योग्य, मेहनतकश और ईमानदार उम्मीदवार के छाती पर विकास की ईंट फेंककर बेरोजगारी दर को नहीं कम कर दिया जाए।
अगर सच में परीक्षा निरस्त हो जाती है, धाँधली हो जाती है। योग्य उम्मीदवार अपने मेहनत का फल नहीं पाते हैं। तो ऐसे विकास के सोपान पर बैठे ईंट को भर मुँह थूक के घिना देनी चाहिए।
जय हो।
(ईश्वर सभी अभ्यर्थियों को सफलता की मिठाई दें)
-अभिषेक आर्यन