शेष है अभी मेरा पवित्र होना

रचना शास्त्री की कविता : hindi poem


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कविता : शेष है अभी मेरा पवित्र होना


जब संसार के 
सारे सच्चे और अच्छे 
प्रेमी झील हुए तो 
कमल हो गयीं
सारी पवित्र प्रेमिकायें
और खिलती रहीं
उम्र भर।

जब संसार के 
सारे अच्छे और सच्चे 
प्रेमी आँगन हुए तो 
हरसिंगार हो गईं 
सारी पवित्र प्रेमिकायें
और फूल सी झरती रहीं 
उम्र भर

जब संसार के
सारे सच्चे और अच्छे 
प्रेमी सूरज हुए तो 
सागर हो गई 
सारी पवित्र प्रेमिकायें 
बादल बन बरसती रहीं 
उम्र भर 

पर शेष है अभी 
मेरा पवित्र होना 
इसलिये मैं वट वृक्ष हो गई हूँ 
जिसकी शाखाओं पर 
पंछी बन कलरव करते हैं 
सच्चे प्रेमी और पवित्र प्रेमिकायें। 


सुनो!
तुमने किसी वट वृक्ष पर 
कलरव करते 
पंछियों को देखा है न 
देखा तो होगा जरूर...।







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