Story on wheat crop farming | Agriculture field croping | story of village farmers : जा ए भगवान जा, चार- पाँच दिन बाद बरसिहा (गरीब किसान की दर्द की कहानी)
सरसों पिछले माह ही मैंजा गया था। गेंहूँ अभी भी खेतों में ही है। लॉकडाउन में न तो हँसुआ पज पा रहा है न ही हार्वेस्टर का ब्लेड। आसमान में बादल गरजता है तो बारिश की बूंदें किसान की उम्मीद भरी आँखों से गिरती है।
रामायण और महाभारत देखने वाली औरतें हाथ जोड़ते हुए कह रही हैं - जा ए भगवान जा, चार- पाँच दिन बाद बरसिहा...कटनी हो जाय दहो, अभी मेहनत के सब अनाज खेते में हकै। की खैबै, कैसे कटते जिनगी ?
बहन और बेटी बियाहने का बोझ लिए गाँव से निकला रमेश, पिंटू और मनोहर आज हैदराबाद, चेन्नई और महाराष्ट्र में फंसा हुआ है। मौसमी ओवरटाइम करके दूसरों की फसल काटने वाला हाथ आज अपने ही हाथ के बोये फसल का नहीं काट पा रहा है।
इधर रात होती है तो लगता है कितना जल्दी कोई सूरज भगवान के आँख पर पानी छींट जगा दे। गाँव की एकता और भाईचारा ने संकट के ऐसे समय में एक दूसरे का हाथ थाम लिया है।
आज मनोहर जादो का गेंहूँ ब्रिजदेव पासवान और कुदारी महतो मिल के काट रही है, बदले में कुदारी महतो और ब्रिजदेव पासवान का गेंहूँ मनोहर जादव और बोझन देवी।
खेत जाकर कटनी करते हुए हाथों की रफ्तार देख लें तो लगेगा कि IIT खड़गपुर या IIT बॉम्बे ने इन हाथों को डिज़ाइन किया है। भूख की हाथ सबसे तेज चलने वाली हाथों में से एक होती है। उसकी मजबूरी ही उसके किस्मत का सबसे उच्च कैलोरिफिक मान का ईंधन है।
इधर ठेला पर ठेला गेंहूँ का बोझा परभुनाथ काका के खलिहान पहुँच रहा है। इसको कहाँ रखे...? अरे उधर रखो मरदे, इधर तो भूसा निकलेगा। और इधर...? इधर गेंहूँ।
तिरपाल बिछ गया है, इंजन में भर मुँह तेल भी भरा गया। मशीन चालू है। अभी किसका छँटा रहा है हो काका ? परसुराम तिवारी का। इसके बाद ...? इसके बाद बोधनबो भौजी का। फिर...? फिर कुदारी महतो का। सब पंक्ति में अपनी बारी का बोझा लिये इंतजार में हैं।
शहर का कोई व्यक्ति रात में चल रहे थ्रेसिंग मशीन का हड़हड़ाहट सुन ले तो लगेगा कि 80 डेसिबल का कोई ध्वनि प्रदूषण है। पर वही मशिनिरी आवाज गाँव वालों के लिए उम्मीद का एक संगीत है।
कुछ देर के लिए मशीन बंद होता है तो लगता है कुदारी का हो गया अब बोझन का बाकी है फिर अपना भी छँटा जाएगा। थ्रेसिंग मशीन को देख लें तो लगेगा कोई 64 बिट का माइक्रो कंप्यूटर है। एक तरफ से कच्चा माल का बोझा घुसाइये दूसरी तरफ अंतिम उत्पाद तैयार मिलेगा।
सुबह होते ही भूसा अलग और सुनहरे रंग का गेंहूँ अलग। हो सकता है फसल ढोने के लिए आपके प्ले स्टोर पर "किसान रथ" एप्लीकेशन उपलब्ध हो, आप 4g स्पीड में डाउनलोड कर 5g स्पीड से ढो लेंगे पर इन मजदूरों के लिए इनका माथा और बुढ़वा साइकिल का कैरियर ही जिंदगी का वास्तविक किसान रथ है।
इन मेहनतकश माथों ने शाम तक सारा अनाज और भूसा घर में ढो चुका होता है। इधर जब फिर से आसमान में बादल गरजता है तो रोटी बेल रही मनोहरी चाची कह रही होती हैं- जा बरस जा ए भगवान पूरा गाँव अपन खेत के अनाज घर में ले अइले हैं।
कुछ देर में बारिश हो रही होती है और मैं सोच रहा होता हूँ कि घर की देवियों और माताओं का भी ईश्वर कितना मान रखता है। शायद इसलिए भी कि वो खुद देवी का एक पुनीत और निर्मल रूप हैं।
जय हो।
अभिषेक आर्यन।