क्या आप लेखक बनना चाहते हैं ?
हिंदी में ये शीर्षक ही गलत है कि लेखक कैसे बनें? आप किसी को लेखक नहीं बना सकते। ये ठीक वैसा ही है जैसे आप किसी से प्यार करते हैं जबकि प्यार करने की नहीं बल्कि हो जाने की चीज़ है।
प्यार भी करना पड़ रहा है तो कहीं न कहीं मन के आंतरिक हिस्से पर कुछ बनावटी सा है।
लेखक या कवि बनने की कोई ट्रेनिंग या सिपाही दौड़ नहीं होती। न ही होनी चाहिए।
जिस दिन ऐसा होने लगे तो समझिए आप कच्चा माल हैं और बाजार में ऐसी कोई मशीन ईजाद हुई है जो आपको अंतिम उत्पाद की ओर ले जा रही है।
याद रहे हरेक अंतिम उत्पाद अपने एक्सपायरी डेट के साथ आती है, लेकिन लेखक या कवि संसार छोड़ जाने के बाद भी यहीं मौजूद रहता। उनकी जमीन बँट जाती है, लूट जाती है पर उनका जमीर हमेशा लोगों के मन और हृदय पर राज करता।
ऐसे समय में जब आर्थिक स्थिति को देखकर लोग लेखक बनने से पहले कुछ और बन जाने की सोचते हों। जहाँ लेखक और प्रकाशक के पुरजोर मेहनत के बाद भी पाँच हज़ार किताबें नहीं बिक पा रही हो वहाँ लेखक कैसे बनें से ज़्यादा जरूरी विषय है कि अपना पाठक कैसे बनायें।
हम सब यूट्यूब के थंबनेल में बढ़ते और इंस्टाग्राम के फ़िल्टर में पलते हुए लोग हैं।
जहाँ व्यूज बढ़ाने के लिए थंबनेल पर लिखा जाता-
बेमेल विवाह का फल क्या होता है? बुढापे में नयी उम्र की दुल्हन लाने के परिणाम, देर रात तक जगने वाले इसे जरूर देखें, क्या हुआ जब सबिता भाभी ने उस रोज कॉल किया।
इसके इतर ये भी लिखा होता इसे अकेले में देखें। और न चाहते हुए भी आप उसे खोलते और देखते हैं।
साहित्य ऐसा नहीं है। ये सब चीज़ें क्षणिक हैं। साथ क्या रह जाता ईमानदारी, मेहनत, प्रेम और लगन। लेखन भी ऐसा ही है। योग, ध्यान और चिंतन करने जैसा है।
हम अपने जीवन में घटनाओं का अवलोकन कैसे करते हैं, कैसे हम सोचते हैं, हम कितने बार असफल होते हैं, क्या और कैसे पढ़ते हैं, दुख को किस रूप में भोगते हैं, प्रेम को कैसे जीते हैं, कितना हँसते, रोते और गाते हैं, जीवन का राग क्या है। एक एक राग की क्रिएटिविटी क्या है। ये सब आवश्यक तत्व हैं।
जिस दिन इन तत्वों को पहचान लेंगे आपको लिखने से कोई नहीं रोक सकता।
मशीनें मशीन बनाती हैं पर लेखक लेखक नहीं बना सकता। लेखक को सिर्फ पाठक वर्ग बना और बिगाड़ सकता। फिर भी अगर ऐसा हुआ तो आने वाले दिनों में हरेक संस्था लेखक कैसे बनें के साथ अपना पेन ड्राइव कोर्स लॉन्च कर रहे होंगे।
शायद तब लेखक तो होंगे, इंसान नहीं होंगे।
Writer- Abhishek Aryan
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