इधर अतुल बाबू अपना चाइना मोबाइल में गाना बजाते हैं..."मेरा दिल भी कितना पागल है ये प्यार तो तुमसे करता है"
तभी गुड्डू भैया ठेहुना से नाक का पसीना पोछते हुए कहते हैं 'अतुल बाबू आप कहाँ प्यार-व्यार के चक्रवात में उलझ पड़े। विविध भारती लगाइए समाचार दे रहा होगा'
प्यार-व्यार तो होते ही रहेगा...पूरा जीवन पड़ा है इसके लिए...पहले नौकरी तो लग जाए...माँ-बाबूजी कितनी उम्मीद और मेहनत से बारह हजार रुपया महीना भेजते हैं। एक बार हो गया फिर जीवन बदल जाएगा।
ठीक है हो गया न...अब आपका समाचार सुने या विविध भारती का ?
अतुल बाबू थोड़ा गर्म स्वभाव के थे। कौन सी बात पे ज्वालामुखी भभक उठे इसका वर्णन न तो किसी कोचिंग के नोट्स में था...न ही भूगोल की किसी पाठ्यपुस्तक में था...और न ही कोई यूट्यूब चैनल इसे अभी बता पाया था। इनका गुस्सा गुस्सा नहीं ब्लैक होल था।
दोनों दो प्रजाति के थे...एक का दिल पागल...एक का दिमाग पागल।
किसी ने सही कहा था जीवन में कुछ हासिल करने के लिए इंसान को पागल बनना पड़ता है और इस क्रिया का सबसे गहरा असर गुड्डू भैया और अतुल बाबू के प्रमस्तिष्क (सेरेब्रम) पे पड़ा था। अर्थात ये दोनों इंसान से पागल बनने की ओर तैयार हो चुके थे।
तैयारियाँ चलती रहीं...समय बीतते रहा...NCERT की किताबों में दो पंक्तियों के बीच लिंक ग्लेसियर की सियाही से अंडरलाइन करते करते एक मोटा रास्ता बना दिया गया था...ये सियाही के मोटे रास्ते का ज्ञान-विज्ञान बतलाता था कि तुम्हें कलेक्टर ही बनना है। पृथ्वी की कोई भी ऊर्जा तुम्हें कलेक्टर बनने से नहीं रोक सकता।
अतुल बाबू पढाई में भावविभोर हो चुके थे। अब ना तो उनकी प्रेमिका का फोन आता था न ये उन्हें फोन करते थे...जीवन की यही रीत है, कुछ पाने के लिए बहुत कुछ खोना पड़ता है यहाँ।
तीन साल तक मुखर्जीनगर का गली मोहल्ला छानने के बाद रात में सोने वक़्त गुड्डू भैया और अतुल बाबू के पास एक ही महत्त्वपूर्ण विषय शेष रह जाता था। कब तक यहाँ से छुटकारा मिलेगा...कहिया कलेक्टर बनेंगे...कुछ होगा भी या नहीं....अगर कुछ नहीं हुआ तो कौन मुँह से गाँव वापस जाएंगे।
माँ-बाबूजी का एक्के सपना था बेटा को लाल बत्ती के साथ देखना...और तो कुछ दे नहीं पाएं... इतना दे दें किसी तरह उनको।
तभी उनका पार्टनर गुड्डू भैया....अतुल बाबू के दाहिने जाँघ पर पूरे बीस न्यूटन का हिम्मत देते हुए कहते थे...
घबराइए नहीं अतुल बाबू....इस बार आपका एक नम्बर से नहीं हुआ ना....लाइये हम भारत के मानचित्र पे आपका भविष्य लिख देते हैं...अगला बेर मानसून सबसे पहले आपके जीवन में आएगा।
(यह ये दौर था कि भविष्य मानचित्र पे....मानचित्र कॉपी पे...और कॉपी दिमाग में लिखा जा रहा था)
बस लगे रहिये...हिम्मत मत हारिये...अभी तो देखे ही थे आप... BPSC में हमारा क्या हाल हो गया था पुनःसंशोधित कुपरिणाम आने के बाद...ऐसा लग रहा था जैसे एक हरे भरे पेड़ के पत्ते से किसी ने क्लोरोफिल उधार माँग लिया हो... लेकिन देखिए आज फिर से डटकर खड़े हैं। क्योंकि हमसब यहाँ आये ही हैं कुछ पाने के लिए...और इस तरह से हिम्मत हार जाएंगे तो कैसे क्या होगा...कौन याद रखेगा आपकी कुर्बानी को...क्या बीतेगा उस बाप के ऊपर जो अपनी जिंदगी काट कर आपको एक नई जिंदगी देने की उम्मीद पाल बैठा हो।
ऐसा वातावरण सिर्फ दो घनिष्ट मित्र के बीच ही पनप सकता था जिसमें एक टूटा हुआ छात्र...दूसरे टूटे हुए छात्र को हिम्मत दे रहा हो। बाकी दुनिया तो प्रतिस्पर्धा के लिए बनी ही थी।
ऐसा ही होता है प्रतियोगी परीक्षार्थियों के बीच का माहौल। दाल-चावल, रोटी-सब्जी पार्टनरशिप में बनाने के साथ एक दूसरे को हिम्मत औऱ हौंसला देना भी पार्टनरशिपिंग का अतिमहत्वपूर्ण विषय होता है।
इतनी मेहनत औऱ समर्पण के बाद भी गुड्डू भैया और अतुल बाबू लाल बत्ती के साथ क्यों नहीं खड़ा हो सके...ये किसी को नहीं पता...पर अभी हाल में ही पता चला कि दोनों मित्र इनकमटैक्स डिपार्टमेंट में दिल्ली में कार्यरत हैं।
इनकमटैक्स रिजल्ट के बाद अतुल बाबू की प्रेमिका का पहला मैसेज था
चाँद मिलता नहीं सबको संसार में
है दीया ही बहुत रौशनी के लिए
और गुड्डू भैया रविवार को अपनी प्रेमिका के साथ पार्क में देखे गये थे।
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