एक कविता - इस देश से

जब इस देश से
विलुप्त हो जाएँगे बाघ

तब शायद खाली पड़े
बाघ अभ्यारणों में
रखा जाएगा

भूख से मरने वाले
आदमियों को
उनकी विलुप्ति तक।

और इस तरह हम
लहरा देंगे परचम
'वैश्विक भूख सूचकांक' में।

और तब
बड़े दुःख के साथ
हमें अप्रासंगिक
घोषित करना होगा
अब तक
भूख पर लिखी समस्त
हिंदी कविताओं को।

सारे पुरस्कार
वापस ले लेने होंगे
हिंदी के मृत,अमृत
साहित्यकारों से

जिन्होने भूखों की
मरमराती देह को
सहारा देने के बरक्स
लिखी उन पर कथा-कविताएँ
कोरे कागज पर
सरकारी स्याही छिड़ककर।

इसके साथ-साथ
इसी समय
विश्वविद्यालयों के
पाठ्यक्रमों से अवैध
घोषित करना होगा
साहित्यिक गाँधी के
'गोदान' को।

जला देनी होगी होली
'परती परिकथा' के साथ-साथ
जमुई खाँ की अवधी
और कैलाश गौतम की
समस्त भोजपुरी
कविताओं को।

तब शायद हिंदी साहित्य के
स्नातकस्तरीय 
पाठ्यक्रम में
शामिल किया जाएगा
जॉन कीट्स की कविता
ब्राइट स्टार का 
हिंदी रुपान्तरण
'चमकीला सितारा' और
विलियम वर्ड्सवर्थ की कविता
परफैक्ट ओमैन का 
'परिपूर्ण रमणी' नाम से।

अब गाँधी का नाम
आ ही गया
तो बताते चलें कि
तब गाँधी बाबा
राष्ट्रपिता भी
नहीं रह पाएँगे

अंग्रेजों का एजेंट
घोषित करते हुए
मृत्योपरांत छीन ली जाएगी
उनसे
भारत की नागरिकता।

भारत और पाकिस्तान के
समकालिक बदहाल
संबंधों का
आधारभूत दोषी मानते हुए
हेग के अन्तर्राष्ट्रीय न्यायालय में
चलेगा उन पर
द्विराष्ट्रद्रोह का मुकदमा।

हाँ ये भी है कि 
तब नोटों से
गाँधी जी का चित्र भी 
हटा लिया जाएगा।
नए राष्ट्रपिता के 
चयन के लिए 
आयोजित किया जाएगा
जनमत संग्रह

पर ये सब तब होगा जब
बाघ अभ्यारणों में
बिलबिलाते हुए मरेंगे
भूख से मरने वाले लोग
और उससे पहले मरेंगे
सारे के सारे बाघ।

बहरेहाल तब तक
दुआ करिए।

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यशवंत कुमार
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