मगर आप तो सिर्फ ४ घंटे सोते हैं न...

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Letter to our prime minister

प्रिय प्रधानमंत्री जी!

मेरे आसपास के लोग मैसेज कर रहे हैं कि हाकिम को इक चिट्ठी लिखो, बस इतना लिखना लानत है। मैं ये नहीं लिखना चाहता क्योंकि मुझे आपसे अभी भी उम्मीद है।

मैं आपके देश का एक आम नागरिक हूँ। (मेरे पास कागज भी है) और मैं डरा हुवा हूँ।

ऑस्ट्रेलिया जल रहा है, जेएनयू भी,  कोटा भी, राजकोट भी। मुझे ये सारी खबरे बराबर डरा रही हैं। सूरज को हाकियों, डंडों और सरियों ने घेर लिया है और इस अँधेरे में मुझे बहुत डर लग रहा है, जैसे मैं कुछ कर नहीं सकता। न मेरी पहुँच ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री तक है और न जेएन यू के वीसी तक। मगर एक आम नागरिक की हैसियत से मेरी पहुँच मेरे देश के प्रथमसेवक तक होनी चाहिए न? क्या कोई तरीका है कि मेरे “मन की बात” आपतक पहुँचे? किसी भी विपदा आपदा में, किसी भी समय, मुझे भरोसा हो कि मैं अपनी बात आपतक पहुँचा सकता हूँ। आज अगर सुषमा जी होतीं तो मैं आपको परेशान नहीं करता। मैं अपनी बदहाली का एक ट्वीट करता और मुझे भरोसा होता कि एक माँ की तरह वो मेरी परेशानियाँ हर लेंगी। 


आप कहेंगे कि वो नहीं है तो क्या हुवा, एक पूरा सिस्टम है अपनी बात रखने का।पर मैं आपको बताऊँ कि इस अँधेरे को रात समझ कर सब सो रहे हैं। मैं सुबह-सुबह अपने फेसबुक फ्रेंडलिस्ट के 15-20 आईएसों, आईपीऐसों, आईआरऐसों, सीओ, बड़े पत्रकारों की वाल झाँक आया। सब सो रहें हैं... अलार्म क्लॉक कई बार बज चुकने के बाद भी।  मगर आप तो सिर्फ ४ घंटे सोते हैं न?  मुझे भरोसा है कि आप मेरी समस्याएँ सुलझा देंगे, ४ घंटे बाद ही सही... मैं आपसे गुजारिश, नहीं-नहीं प्रार्थना तो कर सकता हूँ न? मेरे मुख्यमंत्री मुझसे बदला तो नहीं लेंगे न? 


Letter to the primeminister of india हिंदी में


एक नागरिक को इतना डर क्यूँ लगने लगा है आजकल? जैसे थाने जाने पर मुझे दर्ज नहीं किया जायेगा, मीडिया के पास जाने पर मेरी बात नहीं सुनी जाएगी। क्या आपके बड़े होने से हम छोटे हो गए हैं? क्या इस बार आपके और शक्तिशाली होकर आने से प्रत्येक व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास नहीं आया है? क्या हम और आप अलग-अलग हैं? नहीं न...मैं आपको बताता हूँ कि क्या हुवा है...


JNU attack hindi story (news)


पहले जेएनयू  से शुरू करता हूँ। कल रात की बात है। वहाँ के छात्र बता रहें है करीब 80-90 नकाबपोश होस्टलों में घुस गए। मैंने वीडियो देखा, वो लोग एकदम कसाब और उसकी गैंग की तरह लग रहे थे जब वो ताज में घुसे थे. बस उनके हाथ में AK47 नहीं थी, लाठी डंडे थे। हो सकता है जहाँ उनकी ट्रेनिंग होती हो वहाँ लाठी डंडा चलाना ही सिखाया जाता हो? हाँ तो वो घुस गए एकदम होस्टलों में, गर्ल्स होस्टल में भी और कई लड़कियों का सर खोल दिया. हाँ-हाँ लडकियाँ, वही बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ वाली लडकियाँ. महिला प्रोफेसर को भी नहीं छोड़ा. आप यकीन ही नहीं हो रहा होगा न?. मैं विडियो दिखाता हूँ आपको। मीडिया नहीं दिखाएगा ये, उस पर विश्वास मत किया कीजिए आप। 

आपको पता है हमारी मीडिया में कुछ पाकिस्तानी घुसपैठिये घुस गए हैं? वो दिन भर पाकिस्तान की ही ख़बरें चलाते रहते हैं।आपकी तरह मैं भी उन्हें कपड़ों से पहचान सकता हूँ। चिकने-चिकने,टिंच रहते हैं एकदम। उनसे बच के रहिये आप। मैं तो अपने पत्रकार दोस्तों से कहता हूँ कि तुम ऐसा करो, ‘पाकिस्तान की मीडिया में घुस जाओ और वहां से हिंदुस्तान की खबरें चलाओ! भारत में क्या हो रहा है हमें कहीं से तो पता चले’. ये तो कैम्पस के अन्दर की बात है। आप बाहर की खबर सुनिए। बाहर से अंदर एम्बुलेंस इत्यादि की मदद न पहुँचे इसलिए कुछ स्वयंसेवक  एम्बुलेंस के टायर पंचर कर रहे थे और कारों के शीशे तोड़ रहे थे। 


मीडिया के सामने उन्होंने बताया कि वो किसी विद्यार्थी संस्था एबीवीपी के छात्र हैं। वे मुंह छिपा रहे थे और औजार लहरा रहे थे। जे बड़े बड़े डंडे और सरिया थे उनके पास। कुछ लोग कह रहे हैं कि इसी संगठन के लोग अंदर भी थे। आप निष्पक्ष जाँच करवा लीजिए। सर मुझे लगता है कि स्वामी विवेकानंद ने छात्रों के हाथों  में जो ज्ञान की मशाल दी थी उसकी ज्योति  कहीं गिर गई है और सिर्फ डंडा बचा है। और वही डंडा लिए ये लोग घूम रहे थे, पुलिस के जयकारे लगा रहे थे। 

देखिए हमारे भारतवर्ष में जब भी किसी को उल्लू बनाना होता है उसके जयकारे लगा दिए जाते हैं.. परसाई जी कहते थे कि अगर किसी शेर को माला पहना दी जाए तो वो भी हाथ जोड़कर “मेरे लायक कोई सेवा हो तो...” करने लगेगा। ऐसे ही पुलिस वालों को बनाया जा रहा  है। पिछले हफ्ते यू.पी. में मैंने एक पूरा दिन थाने पर गुजारा। क्या बदहाल स्थिति थी। 120 पुलिस कर्मियों के लिए मात्र दो शौचालय। रहने के क्वार्टर को ४-४ लोग शेयर कर रहे। ऐसी बदहाल स्थिति में ड्यूटी पर आक्रामक नहीं होंगे तो क्या होंगे? उनकी समस्याएँ समझने की बजाय सब उनके जयकारे लगा रहे हैं। ये बात आपको आपके सलाहकार नहीं बताते। बस (ए+ बी ) स्क्वायर टाइप चीजें बताएंगे। पुलिस के सन्दर्भ में मैं एक बात और जोड़ दूँ कि जामियाँ के बच्चे रो रहे थे कि उनके साथ सौतेला व्यवहार हुवा और पुलिस ने उनकी ज्यादा पिटाई की, मगर इस बार वन नेशन वन रूल के तहत जेएनयू की बेटियाँ भी बराबर पिटीं। नहीं-नहीं  मुझे इस मजाक के लिए माफ़ कीजिए। मुझे गंभीर मुद्दों पर चुटकुले नहीं सुनाने चाहिए। 


मन की बात -letter to the PM


मैं अभी सद् गुरु नहीं हुवा हूँ। मैं एक आम नागरिक हूँ, मुझे आपको आम सी बातें बतानी चाहिए। कोटा में 110 बच्चे ठंड से ठिठुरते हुवे मर गए (हाइपोथर्मिया)। डॉक्टर कह रहे थे कि ICU के पास ढाई किलो से कम वजन वाले बच्चों के लिए जरूरी क्षमता और सुविधा नहीं थी। ढाई किलो के हाथ वाले सांसद के रहते हुवे ऐसा कैसे हो गया प्रधानमंत्री जी? राजकोट में 134 बच्चों की मौत हुई है, डॉक्टर कह रहे हैं कुपोषण से, जन्मसम्बन्धी बीमारियों से माँ को मिले कम पोषण से।  बुलेट ट्रेन वाले देश में ऐसा कैसे हो रहा है प्रधानमंत्री जी! कुछ लोग तो अफवाह फैला  रहे हैं कि मरने वाले बच्चे इसी देश के थे। कह दीजिये न, कि जो मरे हैं उनके पास डाक्यूमेंट्स नहीं था और हम लोगों को चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है। 

वो लोग झूठ पे झूठ फैलाए जा रहे हैं। और अंत में इन सबसे बड़ी प्रार्थना प्रधानमंत्री जी...ऑस्ट्रेलिया में जो आग लगी है वो हम सबके अस्तित्व के लिए घातक है। 50 करोड़ से ज्यादा जानवर जल कर ख़ाक हो गए हैं। उन्हें मदद पहुंचाइये...खबर है कि आग की खबर होने के बावजूद वहां के प्रधानमंत्री हवाई में छुट्टी मनाने चले गए थे. आप वादा कीजिए प्रधानमंत्री जी कि भारत में लगी आगों के बीच आप कहीं घूमने नहीं जाएंगे.

Shashank Bhartiya । शशांक भारतीय 
( बेस्ट सेलर उपन्यास देहाती लड़के के कलम से)


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