Human Chain in Bihar LIVE 2020: पटना गांधी मैदान में मुख्य कार्यक्रम। विश्व की सबसे बड़ी मानव श्रृंखला को पहुंचने लगे आमजन। जानिये कितना सही कितना गलत।
आज बिहार में 16443 किमी लंबी मानव श्रृंखला (human chain) का आयोजन हो रहा है। इस झुठका मानव श्रृंखला के लिए कैबिनेट ने 19 करोड़ 44 लाख रुपये की मंजूरी दी थी। क्या इस खर्च से कोई आउटपुट मिलेगा ? जवाब है नहीं, क्योंकि आउटपुट, इन्वेस्टमेंट से मिलता है, खर्च करने और पैसा बहाने से नहीं।
यह सरदार पटेल के कद को 183 मीटर में समेट कर उसमें 3000 करोड़ फंसा देने के अलावा कुछ नहीं है। कुछ है तो नीतीश जी का चुनाव प्रचार है। मूर्ति से तो कम-से-कम पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, इससे क्या होगा, आंय ?
लोग जागरूक होंगे ! भक्क ! इस श्रृंखला में उसी तरह सब लोगों को जल-जीवन-हरियाली मुद्दा पता होगा जैसे CAA-NRC के विरोध और समर्थन में उतरे लोगों को CAA-NRC पता था। क्या सड़क पर लोगों के जमा होने से परिवहन कार्य बाधित नहीं होगी ? क्या परिवहन बाधित होने से उत्पादन कार्य बाधित नहीं होगा ? होगा, तब न सुस्ती आता है अर्थव्यवस्था में।
मानव श्रृंखला human chain 2020 के बारे में कितना पता है लोगों को
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मानव श्रृंखला Human Chain in Bihar LIVE 2020 |
स्कूली बच्चों को भी लाइन में लगाया जाएगा, अब बताइये न प्राथमिक और मध्य विद्यालय का बच्चा क्या समझ रहा होगा ? वह सोच-समझ रहा होगा तो केवल यही कि स्कूल के पिछवाड़े में 5 जून को हेडमास्टर साहब सब मास्टर के साथ मिलकर जो एगो पौधा लगाकर फ़ोटो खिंचवाए थे और मुखिया जी जो पोखर के साइड में पौधा रोपे थे, उ सब सुख गया कि बकरी चर गई ? उ बच्चा इहो सोचता होगा कि क्या फिर 5 जून को मास्टर साहब मुखिया, सरपंच, वार्ड सदस्य के साथ पौधा रोपने का ढोंग करेंगे ?
यह जमीन पर की बात है नीतीश जी। बाकी विपक्ष चाहें तो एक बार बेरोजगारों की श्रृंखला लगवाकर सत्ता को दिखा ही सकते हैं। नहीं, विपक्ष को दिखाना क्या है ? जिसको आँख है उ बिहार पुलिस के परीक्षा दिन देखा ही था। अभी एक्के दिन परीक्षा हुआ था, same वैसा ही 20 जनवरी को बनना बाकी था। नीतीश जी भी सोचे होंगे कि 19 को बनिये रहा है तो 20 को छोड़ देते हैं, इसलिए परीक्षा स्थगित कर दी गई।
आज 15 हेलीकॉप्टर से निगरानी होगी, क्या आपको पिछले वर्ष का पटना का बाढ़ याद है ? नहीं तो कोई बात नहीं, यदि हाँ तो उसमें कितने हेलीकाप्टर का प्रयोग हुआ था और कब हुआ था ?
बहरहाल, समय हो गया है लाइन लगने का, मन जिधर कहता है... उधर चल दीजिये।
जय हो।
शुभम कुमार
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