उदास लड़की : एक प्रेम कहानी Udaas ladki : Best romantic hindi love story
उदास लड़की : best romantic love story in hindi
दिनभर साथ रहे थे वो दोनों! महीनों बाद मिले थे! साथ में घूमे, खाया पिया, ढेर सारी मस्ती की! बहुत दिनों के बाद मिलने पर दोनों एक दूसरे पर अपनी सारी हँसी, सारी खुशी और सारा वात्सल्य न्योछावर कर देने को तैयार थे! सारा दिन कब बीता, पता नहीं चला!
दिनभर साथ रहे थे वो दोनों! महीनों बाद मिले थे! साथ में घूमे, खाया पिया, ढेर सारी मस्ती की! बहुत दिनों के बाद मिलने पर दोनों एक दूसरे पर अपनी सारी हँसी, सारी खुशी और सारा वात्सल्य न्योछावर कर देने को तैयार थे! सारा दिन कब बीता, पता नहीं चला!
नहीं नहीं! किसी गन्दी नियत से नहीं मिले थे वो! और सच कहा जाए तो ना ही सदियों पुराने प्रेम के परवान चढ़ने की वजह से! उनके मिलने की कोई वजह थी, तो वो थी उनका स्नेह!
हाँ....सिर्फ स्नेह ही! अब उस स्नेह को इश्क़ कह लीजिए, मोहब्बत कह लीजिए, प्रेम कह लीजिए! जो दिल करे परिभाषा दे दीजिए! वैसे भी सबके लिए प्रेम के अपने मायने होते हैं!
महीनों बाद मिलने की खुशी उनकी आंखों में दिखाई दे रही थी जो कई बार एक दूसरे की हथेलियों पर भी गिरी, चंद बूंदों के रूप में, और जिसे समेट लिया गया माथे पर दिए गए एक और बोसे में!
सारा दिन हँसी का था! खुशी का था! लेकिन जैसे जैसे गहराने लगी शाम...एक अनकही पीड़ा भी दोनों के दिलों में अपनी जगह बनाने लगी थी! दोनों कष्ट में थे, अब से कुछ पल बाद हम अलग होंगे यह सोचकर, किंतु जता कोई नहीं रहा था, रो पड़ने के डर से!
अजीब ही होता है, जब हृदय में पीड़ा हो और आपको स्वयं की मजबूती साबित करनी पड़े! शाम करीब आती गई, और करीब आता गया उनके फिर से अलग हो जाने का वक़्त भी! वो वक़्त, जो एक हकीकत था, पर जिसे सपना मानकर जिए जाने की कयावद चल रही थी!
दोनों में से कौन पहले बोलता! यह भी थी फसाद की वजह! आखिरकार कहते हैं न, लेडीज फर्स्ट! वही उठी ,भारी मन और पलकों के साथ बोली...."अब चलना चाहिए!" उसके वश में होता तो वह वक़्त को वही पर थाम लेता सदा सदा के लिए, लेकिन दोनों की जिम्मेवारियां उनपर हावी थीं!
आखिरकार वो चले! उसे गाड़ी में बिठाया! तबतक उसके पास रुका रहा, जबतक उसकी गाड़ी आगे बढ़ न गई! उसने जाते हुए उसकी आँखों में निहारा...और उसे दिखी ढेर सारी यादों के बीच, ढेर सारी उदासी छुपाए वह लड़की! मन कर रहा था कि एक और बार गले लग जाए! एक और बार उसका हाथ पकड़कर उसे अपने साथ होने की तसल्ली दे दे!और हो सके तो थोड़ा सा रोकर अपनी आंखें भी ठंडी कर ले!
अंदर बहुत शोर था.....लेकिन यह शोर, सड़क पर चल रही उन अनगिनत गाड़ियों की आवाज में दबकर रह गया! वह चली गई! वह उसे ओझल हो जाने तक देखता रहा! और हवा की ओर मुँह करके बोला.....
सुनो लड़कियों! तुम यूँ उदास न हुआ करो! तुम्हारी उदासी में सिर्फ तुम उदास नहीं होती, बल्कि उदास होती है आसपास की पूरी प्रकृति भी!
-A.k sahi
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