Hey babita! Hum train pakad ke aa rhe hai ho : hindi prem kahani : Romantic love story in hindi : Top Best love story in hindi : Abhishek Aryan Kahani
इधर तुम साड़ी के अचरा को कमर में खोंस रोटी बेलना, दुनिया भर का खिस्सा कहानी करते हुए हम तुम्हारे बगल में बैठ रोटी सेंक रहे होंगे। बात कर होंगे कि फुलेसरी चाची फोन करा हथुन कि नय? आखिरी बार कहिया फोन कैलथुन हल? अबरी के मन आलू कबड़लै? बोधन बाबा के दिन और बचथिन? पिरियंकवा के सास के तबियत त ठीक हकै न? मनोहरा के कनियाय ऐहें हथिन कि नइहर चल गेलथिन? सुरजवा के साली के बियाह कहाँ सेट होलै?
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आँचलिक कहानी : बबिता सीरीज लभ स्टोरी (हिंदी प्रेम कहानी)
हे बबिता! हम टिरेन पकड़ के शनिचर को आ रहे हैं हो मदरास से। तुम्हारे लिए आसमानी रंग का सड़िया, दु जोड़ा पायल और बिछिया है। बाहरी दरवाजे के लिए छींटदार पर्दा, दू ठो बेडशीट, एक नया अटैची, बाबा कंपनी का दालमोट और आम-इमली वाला चॉकलेट है।
हाथ में भर लोटा पानी और माथा पर अचरा लिये ठीक आठ बजे भोर में तुम मेरा इंतज़ार करना हो। देर होने पर तुम पड़ोस के भगीरथ को कहना 'ए जी भगीरथा...तनिक देखतहु हल आज रघुआ के पापा आवे वाला हलथिन अभी तक नय एलथिन हें, मुरारी के बसवा अइले है कि नय' और भगीरथा अमरूद के दतमन से मुँह धोते हुए बस स्टैंड की ओर चल देगा।
तुम इंतज़ार करते हुए खटिया पर बैठ अपने हाथ की चुड़ी गिनना, पैर का बिछिया सही करना। ज्यादा देर हो जाए तो दुआरी में टँगल पर्दा को अपने कमर से लपेट थोड़ा उत्तर दखिन रोटेट हो लेना। 9 वीं क्लास वाला समतल दर्पण से ठीक 25 सेंटीमीटर की दूरी पर खड़ा होकर अपनी बिंदिया और झुमका सोझा करना, जुल्फी को आँख के पास इंद्रधनुष की तरह बिछा लेना।होठों में डूबते सूर्य की लालिमा का रंग भर लेना।
फिर दीवार में टंगे हुए घड़ी को देखना, तनिक बाहर निकलकर इधर उधर झाँकना...हम बुल्लू कमीज में भगीरथा संग आते हुए मिलेंगे। मेरे आते ही तुम मेरे पैरों को दोनों हाथों से छू लेना हो। हम गमछा में मुँह पोछते हुए कहेंगे 'खोब खुश रहा रानी...जियत रहा' और तुम लजाते हुए चाय बनाने चली जाओगी।
फिर दीवार में टंगे हुए घड़ी को देखना, तनिक बाहर निकलकर इधर उधर झाँकना...हम बुल्लू कमीज में भगीरथा संग आते हुए मिलेंगे। मेरे आते ही तुम मेरे पैरों को दोनों हाथों से छू लेना हो। हम गमछा में मुँह पोछते हुए कहेंगे 'खोब खुश रहा रानी...जियत रहा' और तुम लजाते हुए चाय बनाने चली जाओगी।
इधर रघुआ भी टूशन से घर आ जाएगा। आते ही उ भी पैर छुएगा। हम आशीर्वाद देते हुए पूछ देंगे 'अबरी कौन क्लास में चल गेली रे रघुआ' उसका जवाब आएगा...'चौथा में पपा'। तुम्हारा जवाब आएगा 'मारहु त एकरा जी बड़ी बदमाश हो गेलो हैं...रोज साँझ के गुल्ली डंडा खेले पूरब टोला चल जा हको'
हम समझेंगे कि बेटा निशाना लगाना सीख रहा है, अभी भले चार ठो भिन्न के जोड़ कम बना ले पर जीवन के कई पड़ाव पर जब ज़िंदगी जोड़ घटाव का निशाना लगाने को कहेगी तब इसका डंडा सबसे तेज चलेगा।
इधर तुम साड़ी के अचरा को कमर में खोंस रोटी बेलना, दुनिया भर का खिस्सा कहानी करते हुए हम तुम्हारे बगल में बैठ रोटी सेंक रहे होंगे। बात कर होंगे कि फुलेसरी चाची फोन करा हथुन कि नय? आखिरी बार कहिया फोन कैलथुन हल? अबरी के मन आलू कबड़लै? बोधन बाबा के दिन और बचथिन? पिरियंकवा के सास के तबियत त ठीक हकै न? मनोहरा के कनियाय ऐहें हथिन कि नइहर चल गेलथिन? सुरजवा के साली के बियाह कहाँ सेट होलै?
तुम गुसियाते हुए कहोगी 'अजी जा न जी...पहिले निहा ला न जी, फिर खिस्सा गलबात करते रिहया...तीन दिन से अयते हखो थक गेल होभु जी' और हम प्रेमियाते हुए कहेंगे 'ए रानी तुहूँ त घर परिवार चलैते चलैते थक जा होभु न हो...लावा हाथ बटावे द...तनिक प्रेम के रोटी ज़िंदगी के आग पर सेके द।
उधर फिर से कटोरा में चाय खौल रहा होगा, और इधर हम दोनों जिनगी के रफ कॉपी पर दुनिया भर के कहानी का डिफरेंशिएशन, इंटिग्रेशन कर रहे होंगे। तुम पूछ रही होगी कि अबरी साल वेतन बढ़लो कि नय? किराया केतना लगो हको?
और हम कहेंगे 'छोड़ा न रानी ई सब केतना बढ़लै, केतना घटलै...घट बढ़ त लगले रहो हई... इहे सब त जिनगी के नून, तेल हय। हई ला ई रखा कुल बेरासी हजार सात सौ' घर चलैइहा।
उधर फिर से कटोरा में चाय खौल रहा होगा, और इधर हम दोनों जिनगी के रफ कॉपी पर दुनिया भर के कहानी का डिफरेंशिएशन, इंटिग्रेशन कर रहे होंगे। तुम पूछ रही होगी कि अबरी साल वेतन बढ़लो कि नय? किराया केतना लगो हको?
और हम कहेंगे 'छोड़ा न रानी ई सब केतना बढ़लै, केतना घटलै...घट बढ़ त लगले रहो हई... इहे सब त जिनगी के नून, तेल हय। हई ला ई रखा कुल बेरासी हजार सात सौ' घर चलैइहा।
और तुम हाथ में मेहनत की कमाई लिए उसे मसूर दाल के डिब्बे में रख आओगी। लौटते हुए आँख में समुंदर पसार के कहोगी...ए जी एक बात कहियो...अबरी होली वादा करा कि परदेश कमावे न जैबा। एक रोटी कम खाम लेकिन यहीं रह जा...साथे रहब त दुख सुख भी साथे भोगब। जिनगी के नून तेल के स्वाद भी साथे लेब।
और हम तोहके सीना से लगा के कहब 'हम अपन सभे समान परदेश से ले के चल अइनी हो रानी, अब वहाँ कुछु न ब...यहीं गेंहूँ काटब, धान रोपब और आलू कबाड़ब।
इधर रघुआ भी चौकी पर चहड़ कर हमरे गियारी में लटक आया है।
इधर रघुआ भी चौकी पर चहड़ कर हमरे गियारी में लटक आया है।
जय हो।
-अभिषेक आर्यन।
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