प्रीत की पंखुड़ियाँ - A Love Poetry Book

प्रीत की पंखुड़ियाँ - प्रतिमा मौर्य : Preet ki pankhudiyan - Pratima Maurya ( A love poetry Book ) 

Love shayari love shayari in hindi love shayari in hindi for girlfriend love shayari photo love shayari in english love shayari image love shayari sms लव शायरी love shayari sad love shayari attitude love shayari app love shayari ansh pandit love shayari attitude girl love shayari app download love shayari achha wala love shayari and sad shayari love shayari application love shayari boyfriend love shayari bhojpuri love shayari breakup love shayari best love shayari boy love shayari bewafa love shayari background love shayari birthday love shayari copy love shayari cute love shayari couple love shayari comedy love shayari cartoon love shayari couple pic love shayari chhoti si लव सायरी कॉपी love shayari download love shayari dp love shayari download hindi love shayari download video love shayari dosti love shayari dard bhari love shayari dp download लव शायरी डाउनलोड


प्रिय प्रतिमा,

ऐसे डिजिटल समय में कविता की मूलभूत इकाइयों से मिलना जीवन की सबसे कोमल और मधुर पंखुड़ियों से मिलने जैसा है। उसमें भी जब पंखुड़ियाँ प्रीत की हो तो कविताएँ पुष्प बनकर खिलना शुरू हो जाती हैं। 

सोचा नहीं था कि कभी आपको चिट्ठी भी लिखना होगा। पर अब जब लिख रहा हूँ तो समझियेगा कि प्रेम की पंखुड़ियाँ किसी रंगबिरंगी तितलियों के गोद में स्वप्न देख रही है। 

दरअसल ये चिट्ठी आपकी ही एक कविता को पढ़कर लिखने का ख्याल आया। कविता कुछ यूँ है कि- 

सारी चिट्ठियाँ क्यों लिखी 
किसे लिखी नहीं मालूम 
बस लिखते-लिखते 
मोह सा हो गया उन बेनाम चिट्ठियों से।


आपको पढ़कर जाना कि जब मन उदास हो तो प्रेम भी व्यंग की भाषा बन जाती है। ऐसा लगता है कि ये पुस्तक कविता संग्रह नहीं, बल्कि मन का एक डायरी हो जिसमें प्रेम भी है और प्रेम के बीच की उदासियाँ भी। दो जून की रोटी भी है और उस रोटी की भूख भी। विश्राम भी है और जीवन की सुंदरता भी।

ऐसे समय में जब धर्म हमारे लिए एक राजनीतिक मुद्दा बनकर गामा किरण से भी अधिक तेजी से व्यक्ति के मन को भेद दे रही है। तब आपकी एक कविता याद आती है।

प्रजातंत्र की पंक्ति में
शीर्ष पर विराजमान लोगों में 
जब रौब और रसूख दिखाने की होड़ लग जाये
तब तब्दील कर देना चाहिए
उस पँक्ति को वृत में।

मैं किताबों को बेहद सुस्त ढंग से पढ़ता हूँ। सोचता हूँ इसे ठीक उसी ढंग से पढूँ जिस ढंग से लिखने वाले ने इसे लिखा है। एक जगह आपके अध्यापिका होने का बोध भी नज़र आया। जब आपने लिखा-

परमाणु से भी अधिक
घातक अविष्कार करूँगा
जो मिटा दे एक साथ आधी दुनिया को।

बड़े होकर क्या बनोगे?
प्रश्न के उत्तर में एक अबोध से
ऐसा विध्वंसक प्रतिउत्तर सुन
सहमी हुई धरती और सहम गयी। 

मैं एक पाठक होकर सहम सा गया हूँ। शायद जवालुमुखी इसी तरह फटते होंगे। आविष्कार ने आज आंखों के आगे सेलफोन का बेल आइकॉन तो लटका दिया पर आंखों की मासूमियत छीन ले गया। 

मेरे जैसा व्यक्ति हर जगह गाँव ही ढूँढता ही। आपकी एक कविता कुछ ऐसी है। जिसमें शहरों के सीएनजी गाड़ियां और एलईडी लाइट से सजे रूम गाँव के गलियारों के सामने फीके पड़ जाते हैं। 

शहरों की उबासियों से दूर
जो गुजरना कभी
किसी गाँव की गली से

देखना जर्जर मकानों के 
अधखुले दरवाजों में
मिल जायेगा तुम्हें ख़ूबसूरत से
सपने बुनता हुआ
मासूम सा प्रेम!

एक हिंदी के अध्यापिका को खत लिखना, फाइटर प्लेन चलाने से भी बड़ी चुनौती होती है। उसमें भी जब लिखने वाले का हिंदी सबसे कमज़ोर विषय रहा हो। कुलमिलाकर कुछ कविताएँ सामान्य सी लगी कुछ बेहद अच्छी भी। गीत चतुर्वेदी जी सही कहते हैं दुनिया मे जितनी क्रूरता है उस हिसाब से कविता अब भी कम हैं। इसीलिए प्रेम लिखना और पढ़ना तब तक जारी रहे जब तक कि क्रूरता के क्षोभमंडल को प्रेम के कोमल परत में न बदल दिया जाए। किताब के लिए शुभकामनाएं। आशा करता हूँ अगली पुस्तक में और भी बेहतरीन और उत्कृष्ट रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी। प्रीत को पंखुड़ियाँ को ढेर सारा प्रेम। 



अभिषेक आर्यन






Suggested Book:-


A love breakup poetry book


Previous Post Next Post