Bpsc पास साली और गँवार जीजा जी (वायरल पोस्ट)



Bpsc पास साली और गँवार जीजा जी (वायरल पोस्ट)

इधर पता चला कि साली जी का बीपीएससी में पीटी हो गया। खबर बिहार लोक सेवा आयोग से लेकर गाँव के दिलफेंक आशिकबाजों तक बिहार दरोगा के अभ्यर्थियों की तरह दौड़ गयी। गाहे बिगाहे, चौक चौराहा हर जगह यही चर्चा होने लगी कि अरबिंद बाबू के साली का बीपीएससी में पीटी हो गया। 


कभी चाय की मंडली पर अरबिंद बाबू जाते तो एक स्पेशल फोर्स गठित टीम खैनी के साथ चाय का कॉकटेल बनाते हुए उनका सत्कार करते। कभी पानी पूछते, कभी बीड़ी पूछते, तो कभी पूछ बैठते 


"आंय अरबिंद बाबू सच में आपके साली जी का पीटी हुआ है न? मने सुने हैं हेतना हार्ड एग्जाम होता है तो....."


आशंकाओं से भरे सवाल को देखते हुए अरबिंद बाबू अपने प्रिय साली जी का स्मरण करते और आत्मनिष्ठा भाव से कहते अरे हाँ भाई हुआ है। मने हार्ड तो होबे करता है लेकिन पढ़ने वाला का तो होबे करेगा न जी। 


जो पढ़ता था जो मेहनत पसीना चुआया उसका हुआ। लेकिन लड़ाई यहीं खत्म नहीं हो जाता अभी तो युद्ध बाकी है, मेंस है इंटरव्यू है और उसके लिए दुनिया जहान की बातें अँगुली की नोख पर रखना होता है।


ये सब बातें सुनकर लग रहा था कि चाय मंडली कुछ देर के लिए मोटिवेशनल क्लास का इम्पोर्टेन्ट सेशन हो गया हो। सब गम्भीर भाव में थे। कोई सोच रहा था कि काश हमारे भागलपुर वाली फुआ का लड़का भी थोड़ा और मेहनत कर दिया होता तो पीटी हो जाता, तो कोई सोच रहा था भले दू रोटी कम खाएंगे लेकिन बेटा को बीपीएससी में ही भिड़ाएंगे। 


साला एक बेर हो गया तो दुनिया बदल जाएगा। आज जिस खेत जमीन के लिए पुरुषोत्तम सिंह से लड़ना झगड़ना पड़ता है, थाना पुलिस कोर्ट कचहरी करना पड़ता है एक रिजल्ट के बाद सारा झंझटे खत्म हो जाएगा।


साल भर की मेहनत के बाद एक रिजल्ट कितनी उम्मीदें लेकर आ सकता है ये मंडली के होमोसेपियंसनुमा चेहरे पर देखा जा सकता था। 


अब तक गैस की मद्धम आंच से चाय सोनहा होते जा रहा था और चाय पर छाली आ चुकी थी। तभी महेंदर मिसिर ने गम्भीरता के सदन को भंग करते हुए अरबिंद बाबू से मजाकिया भाव में प्रश्न-ए-गुलजार बनकर पूछ बैठे- 


अरबिंद बाबू, अरबिंद बाबू वो सब तो ठीक है पर एक बार साली जी का फोटो दिखा देते तो मन को संतोष हो जाता....हें, हें, हें कम से कम फाइनल रिजल्ट होने के बाद ये तो कहने को होगा कि देखिये तो अरबिंद बाबू की साली को हम अपनी आँखों से देखे थे आज अफसर बन गयी है। 


इस प्रश्न पर मंडली का भरपूर समर्थन मिला और तब अरबिंद बाबू भी अपने आप को रोक नहीं पाये जब जगोधर मिसिर ने फोटो देखने के लिए अरबिंद बाबू का गोड़ , ठेहुना, कमर, पसली सब पकड़ लिये। 


अब पानी का रंग बदल चुका था। चाय की गिलास में प्रिय साली के पीटी पास होने की खुशी का रंगीन पानी था। चार पाँच घण्टे की बैठकी में एक से एक अजीबों गरीब सवाल अरबिंद बाबू के सामने डोसा की तरह परोसा जा चुका था। किसी ने नाम पूछा, किसी ने उम्र, किसी ने व्हाट्सप्प नम्मर, तो किसी ने व्यक्ति की विशेषता बताते हुए यह कहा कि पीली रंग की साड़ी में ऐसी लगती है जैसे भोर की उजास में सरसों फूल खिलने को आतुर हो, तो किसी ने झुमके पर कविता बना डाली।


आगे क्या हुआ पता नहीं पर महेंदर मिसिर का जो आखिरी वैकल्पिक सवाल रह गया था वो यह था कि सच सच बताइयेगा अरबिंद बाबू कबो साली जी को मोटरसाइकिल के पिछला सीट पर बिठाकर लांग ड्राइव किये हैं?


एक पल के लिए तो सब शांत रहे फिर अचानक सबों के चेहरे पर ठहाके की लहर दौड़ गयी। इस प्रश्न का कोई जवाब नहीं था। शायद सभी लोग इस प्रश्न का उत्तर समझ रहे थे। 

जय हो!

अभिषेक आर्यन




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