बात उस समय की है जब कलुआ का गाना "मार के बिलेड जीन्स फार दिहा सा" गाँव से गुजरते हुए हरेक ट्रेक्टर में बजते हुए सुनाई पड़ती थी। वो तो अच्छा हुआ कि ट्रेक्टर के डल्ले में रखी...किसान, सोनु, भारत, टाटा, सम्राट, भोले और चौधरी कंपनी की ईंट होती थी। अगर कोई सत्तर साल के मंत्रीय बाबा होते...तो शायद जीन्स फाड़ने में उनका भी बिलेड चल जाता।
सरस्वती पूजा और हमारे समाज का जीन्स story in hindi
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Sarswati pooja desi hindi story सरस्वती पूजा और हमारा समाज |
ट्रेक्टर तो छोड़िये साहब गाँव के सुनिलबा, गेनहरिया जैसे लड़कों को सतरह का पहाड़ा आये चाहे नहीं...कलुआ का गाना तो ऐसे याद रखता था जैसे अगले वर्ष से उनकी किताब में जीन्स फाड़ने वाला गाना कल्लुजायी कविता के रूप में पढ़ने को मिलेगा...और नहीं याद रहने पर मरखहवा माटसाब खजूर के सोंटा में गाढ़ानुमा कल्लुजाई तेल लगाकर उनकी जबरदस्त सोंटाई करेंगे।
इधर सरस्वती पूजा की तैयारी भी नेता जी के साली के बियाह जैसी चल रही है...लड़कों के साथ साथ मुखिया जी और गाँव के मजदूर लोग सबका सहयोग दिख रहा है। कुछ लोग मुँह में गुटका, पान पराग, राजनीगंधा और खैनी जैसे अनेक लाभकारी मसाला दबाये पंडाल में मेहनत और लगन से लगे हुए हैं...सच है! अगर इतनी मेहनत से पढाई किये होते तो आज रेलवे कार्यलय से छुट्टी लेकर सरस्वती पूजा मनाने गाँव लौट रहे होते।
(आप सरस्वती पूजा पर देसी हिंदी कहानी पढ़ रहे हैं। sarswati pooja best hindi story -सरस्वती पूजा और हमारे समाज का जीन्स)
एक ट्रेक्टर भर के गाजर, बेर और सेब आया है। पौने एक बजे रात से ही बुंदिया छना रहा है। परसादी वाला दुआरी पर चार ठो बुढऊ चाचा अरउआ नामक लेंस लगाकर देखरेख में लगे हुए हैं। कुंटल भर परसादी देख के पंडीजी का मन भी लार बनकर लोभिया रहा है। पिछले साल झोला लेकर पूजा कराने आने वाले पंडीजी इस बार पड़ियान जी के हाथ से सियल चार ठो बोरिया ले के आये हैं।
इधर पूजा समाप्त हो चुका है सब लोग को बारी बारी से परसादी मिल रहा है। उधर परमोदवा बेरी बेरी कर के चार बार परसादी खा चुका है, रौशना तो परमोदवा से आगे निकल के छठा बार परसादी खा रहा है, वहीं सामाजिक पवनमा मम्मी, चाची, दीदी, काका के लिए हर बार प्रसाद लेकर घर चला आता है।
ऐसे ऐसे कितने जुगाड़ू लाल हैं...पर कुछ नजर आती है और कुछ नहीं। इसी बीच मुखीया जी को पता चलता है कि परसादी में धाँधली हो रहा है...मुखिया जी अपन मुँह से आयुर्वेदिक औषधि फेंकते हुए हवा देते हैं कि...अबे चेहरा पहचान के परसादी दो बे...ऐसे में तो किसी को पदम् अवार्ड मिल जाएगा और कोई जी भर "माई लाइफ माई मिशन" के तहत योग कराते ही रह जाएगा।
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अभी कुछ देर पहले बिजली पौल में बांधा हुआ जिस चोंगा से भक्ति गीत, पंडित जी का मंतर, और सरस्वती हमारी माता है का आवाज आ रहा था उसी में से अब कानफोड़उल बेबी डॉल, मार के बिलेड, चुम्मा मांगे मस्टरबा गीत, और करुआ तेल का आवाज आ रहा है। यही हाल है जनाब हमारे गाँव का सरस्वती पूजा की श्रद्धा कम और कुपोषित साहित्यिक माहौल ज्यादा देखने को मिलता है...ये स्थिति सिर्फ हमारे गाँव की ही नहीं...ऐसे ऐसे कितने गाँव...कितने शहर, कितने मुखिया जी और पता नहीं कितने डीजे सुरेश, डीजे महेश होंगे।
एक दिन बाद श्री श्री उच्चाधिकारी महतो सबको काम बाँट रहे हैं। मनोहरा ट्रेक्टर पे सवार मूर्ति का ध्यान रखना तुम्हारा काम...चौधरी जी आप डीजे वाले ट्रेक्टर पे रहिएगा...वीडियो वाले भैया आपको कैमरा हरेक एंगल से लेना है...पूरा गाँव का फोटु आना चाहिए।
इधर अगल बगल में 24 मेगापिक्सल सेल्फी वाला कैमरा हाथ में फ़ोटो खींचने के लिए बेचैन हो रहा है।
का हो...रामविलास जी सब काम ओके होवल है न???
हाँ मुखिया जी सब ओके होवल है...अब बस जनरेटर के हैंडिल घुमावे के देरी है...कहिये तो धक-धका देते हैं। अरे न बुरबक जाओ पहले तीस लीटर डीजलवा ले आओ...और सब ट्रेक्टर, जनरेटर के टंकी मुँह तक लबलबा दो।
शाम को चार बज चुका है। लोग बाग जीन्स, शर्ट, टीशर्ट पहिन के तैयार हैं...मानो जैसे विसर्जन की रैली में नहीं...अपना चचा के बरियाती में जा रहे हों।
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खैर जनरेटर चालु हुआ...सभी के चेहरे पे एक अलग ही ख़ुशी देखने को मिल रही है। डीजे बजते ही...इधर के लोग उधर हो गए हैं। रीढ़ की हड्डियों में अब विटामिन का रस पहुँच रहा है। जो लोग मूर्ति के पीछे सरास्वती...जय जय कर रहे थे...सब के सब चुम्मा मांगे मस्टरबा गीत के धोती में लटक गए हैं। सभी लोग अपना अपना नसेड़ी सटेप को सुपरस्टार नसेड़ी स्टेप का बिम्ब दे रहे हैं।
अब चुम्मा मांगे मास्टरवा वाला गाना खत्म हो चुका है..सब एकही बार गोदाल करने लग गए...अरे चौधरिया बजाओ गनमा,...नहीं तो साले कुटा जाओगे अभी के अभी...बताई देते हैं।
नचनियों की जोरदार माँग के कारण...चौधरी ने जल्दीबाजी में अगला गाना बजाया।
"मार के बिलेड जीन्स फार दिहा सा" अब जो देखिये साहब इन नचनियों का सुपरस्टार स्टेप...बिलकुल गाने की बोल के अनुसार उनकी स्टेप होती है। सिर्फ डांस में ही नहीं...रोजमर्रा की जीवन शैली में भी। अभी चार महीने पहले ही गाँव की एक लड़की का जीन्स फटा था...कुछ दिन पहले देश की राजधानी दिल्ली में और हाल फिलहाल लखनऊ में,...और ना जाने हर महीने कितने जीन्स सुपरस्टार स्टेप से फटते रहते हैं।
सरस्वती माई तनिक इन सबको को ज्ञान दीजिये, मनुष्यता होने का गुण दीजिए, इनके बुद्धि-विवेक को प्रगति प्रदान कीजिये और विद्या का वर दीजिये।
अभिषेक आर्यन
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